एक नए युग की शुरुआत: नव प्रभात की कहानी

नव प्रभात, एक प्रतिष्ठित हिंदी समाचार पत्र, ने अपनी यात्रा 1945 में एक दैनिक पत्र के रूप में नहीं, बल्कि एक द्वैमासिक पत्रिका के रूप में शुरू की। हालाँकि, इसकी लोकप्रियता इतनी तेजी से बढ़ी कि बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए इसे जल्द ही एक साप्ताहिक प्रकाशन में बदल दिया गया।

इसके बाद के वर्षों में, जबरदस्त जनता की रुचि के कारण, नव प्रभात ने एक और महत्वपूर्ण छलांग लगाई और दैनिक शाम के समाचार पत्र में परिवर्तित हो गया, जो आज भी कायम है। स्वतंत्रता पूर्व युग से लेकर आज तक के अपने इतिहास में, नव प्रभात ने असंख्य राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय उथल-पुथल का सामना किया है। फिर भी, यह समाज का सच्चा दर्पण और अटूट सत्यनिष्ठा का प्रतीक बना हुआ है।

1945 में स्वर्गीय श्री नंदकिशोर चौरसिया द्वारा स्थापित यह समाचार पत्र सामाजिक बेहतरी के लिए एक सतत शक्ति रहा है। अपने पिता के नक्शेकदम पर चलते हुए, स्वर्गीय श्री निर्मल किशोर चौरसिया ने इस प्रकाशन को आगे बढ़ाया। आज, यह विरासत श्री राकेश निर्मल किशोर चौरसिया के नेतृत्व में जारी है, जो संपादक के रूप में कार्य करते हैं और समाचार पत्र के संचालन का पूर्ण प्रबंधन करते हैं।

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